Golden Jubilee – Photos

साथियों, यह मेरी बहुत लंबी पोस्ट है इसे आप पढ़ेंगे तो आप सब आठ दिन पहले के नजारों में चले जाएंगे । दोस्तों सुनहरी यादों की खुमारी हम सबके सिर पर चढ़कर बोल रही है, हम कहीं भी हो हम उसे बाहर नहीं आ पा रहे है । ऐसा होना ही था यह हमारे 50 वर्षों की उपलब्धियो का उत्सव था , हम में से हर व्यक्ति ने हर एक पल को दिलो जान से जिया और अपने दिल एवं दिमाग में उसे कैद कर लिया ।

पहले दिन जैसे ही हमने अपने कॉलेज परिसर में प्रवेश किया हमारी पुरानी स्मृतियां उछाले मारने लगी । इसी प्रांगण में तो हमारा लड़कपन बीता था, हमारे कॉलेज की बिल्डिंग बाहे फैला कर आतुरता से हमें अपने अंक में समानें के लिए तैयार थी, हम सब उसकी गोद में जाकर समा गये । जैसे ही हमारे आदरणीय गुरु जिन्होंने हमारा निर्माण किया था अंदर आए हम सब अपने सभी गुरुओं को और उनके विषयों को याद करने लगे । उनका सम्मान करके हमें एक अपूर्व आनंद का अनुभव हुआ । उसी समय हमें हमारे साथी एवं गुरु जो हमें छोड़ कर चले गए उनकी याद हमें बेचैन कर गयी । उसके बाद हमारा फोटो सेशन हुआ वह एक अमूल्य धरोहर की तरह हमारे साथ रहेगा । वहां से जब हम भोजन के लिए जा रहे थे फिजियोलॉजी एवं पैथोलॉजी के डिपार्टमेंट हमें याद आने लगे । वहां से हमारा प्रस्थान अत्यंत सुंदर स्थल क्रिसेंट पार्क की तरफ हो गया । वहां जाकर सभी एक दूसरे से पूर्ण गर्म जोशी से मिले, शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रम में सभी लड़के राजकुमार एवं लड़कियां राजकुमारी की तरह लग रही थी, सभी ने जी भर कर नाचा गाया एवं धमा चौकड़ी मचाई । दूसरे दिन परिचय कार्यक्रम में हम सभीउन गलियारों में जहां हमारे 5 साल का समय बीता था भटकने लगे। शा म के समय हम सभी ने सफेद कोट पहन कर अपनी बैच के साथ एनाटॉमी टेबल का आनंद लिया। उसके बाद आतिशबाजीदेखी एवं मदमस्त होकर जी भर के आधी रात तक नाचा ।

 तीसरे दिन, सुबह सबका मन बहुत भारी हो गया, विदाई का दुख सताने लगा । सबके मन में यही भावना थी “कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन” हर मिलन के बाद जुदाई होती है वह दृश्य बहुत ही भावपूर्ण था सभी एक दूसरे से गले मिलकर रो रहे थे, उससे भी ज्यादा आश्चर्य तो जब हुआ जब हमारे मित्रों के जीवन साथी के आंखों से अश्रु धारा बह रही थी । हम यह सोचने लगे हम सब में इतना प्रेम क्यों है? यह हमारी अलबेली बैच है, कुछ विशेषताएं ऐसी है जो किसी दूसरी बैच में नही थी, हमारे बैच में सबसे ज्यादा लड़कियां थी जहां लड़कियां होती है वहां भावनाएं अधिक होती हैं । हमारे बैच के लड़कों ने अपने साथियों के बहुत सारे प्यार भरे नाम रखे थे जो उनका आपस में प्यार दर्शाता है लल्लू, मुन्ना, पप्पू, फकरु, सुक्खी, शेरू, बब्बू, बिरजू, कुल्लू, पंचू, छज्जू, लोकू,आलू, जंबो

हमारे बैच की निराली यूनियन जिसके तरह-तरह के कारनामे हमेशा याद रहेंगे । इतना तगड़ा कड़ी यूनियन जिसमें नानकडी भी कड़ी बन जाते हैं” मीरा एवं नीता ” इतना प्यारा पैकस सर्कस इसके सभी प्राणी शाकाहारी थे । हमारे बैच की तबीयत से रैगिंग हुई, उसके बाद रैगिंग बंद हो गई, रैगिंग का दंश भी हमारे बैच ने सहन किया । हमारे बैच में सबसे ज्यादा सरदार थे “पंच प्यारे” सबकी छठा अलग थी । बहुत सारे मुस्लिम भाई थे और हमारे बीच बेहतरीन गंगा जमुना तहजीब थी । हमारे यहां बहुत अमीर परिवार के बच्चे नहीं थे थोड़े में निर्वाह यहां है ऐसी सुविधा और कहां है । इस प्यार के महाकुंभ में हमने सब ने अपने अपने प्यार की एक आहुति दी जो एक मशा ल के रूप में हमारे दिल एवं दिमाग में समा गयी । इस दौरान मेराउमेश, राजीव, सुक्खी, छज्जू एवं लोकू भैया से एक अमिट गहरा रिश्ता बन गया है । अंत में मैं कहूंगी “यारों ने हमारे वास्ते क्या कुछ नहीं किया सौ बार शुक्रिया, सौ बार शुक्रिया “जाते-जाते सबकी नज़रें कह रही थी” कभी अलविदा ना कहना, कभी अलविदा ना कहना, हम लौट आएंगेतुम यूं ही बुलाते रहना”।